[Original] Nilavanti Granth PDF Free | निलावन्ती ग्रंथ
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![[Original] Nilavanti Granth PDF FREE | निलावन्ती ग्रन्थ की संपूर्ण जानकारी](https://nilavantigranth.in/wp-content/uploads/2025/06/Nilavanti-Granth-PDF.jpg)
निलावन्ती ग्रंथ एक हिंदू साधू द्वारा लिखित रहस्य्मयी किताब है, जिसकी मूल भाषा संस्कृत है। कहा जाता है यह किताब पढ़ने पर हम दुनिया के हर जिव-जंतु की भाषा समझने लगते है।
किताब के विशेष लाभ प्राप्त करने हर कोई इसे पढ़ना चाहता है। लेकिन आपको बता दे की यह फायदे पाना बेहद ही कठिन है। क्यों की यह एक शापित ग्रंथ होने के कारण इसके 2 बड़े नुकसान देखने मिलते है।
- बुक को अधूरा पढ़ने पर पढ़ने वाला पागल हो जाता है।
- विशेष ज्ञान की प्राप्ति बाद अधिकांश लोग मर जाते है।
लोगो की रूचि देखते हुए हमने इंटरनेट पर गहरी खोच की और Original Nilavanti Book को ढूंढने का प्रयास किया। हमारी लाख कोशिशों के बाद हमें 2 तरह की बुक मिली है।
- निलावन्ती ग्रंथ के कुछ असली पन्ने।
- निलावन्ती की कहानी वाली किताब।
ध्यान दीजिये : आप कुछ पुराने पन्ने पढ़े या कहानी की किताब दोनों ही पढ़ना आपके लिए 100% सुरक्षित है।
Original Nilavanti Granth PDF [Hindi]
अधिकतर लोग असली निलावन्ती ग्रंथ को पढ़ना चाहते है। तो उसके लिए आप निचे दी गयी लिंक से 16 पन्नो की PDF Book डाउनलोड कर सकते है।
| PDF Book Name | Original Nilavanti Granth |
| Book Author | Ancient Saadhu |
| Total Pages | 16 |
| PDF File Size | 0.80 MB |
| Book Language | Sanskrit/Hindi |
| File Maker | Vedic Sanskriti Books |
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About Book
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श्रापित निलावंती ग्रंथ की कहानी क्या है
हमारे रिसर्च अनुसार निलावन्ती ग्रंथ बनने के पीछे 4 से 5 कहानिया है। उनमे से यहाँ हम केवल उसी कहानी को बता रहे है, जो मिले सबूत अनुसार सही बैठती है। साथ ही इन स्टोरीज पर भारत के ज्यादातर रीडर्स भरोसा करते है।
PART 1 – प्रारंभिक जीवन
आज से कही साल पहले की बात है। उत्तरी राज्य के एक छोटे गाँव में एक आदमी था, जिसकी पत्नी और एक छोटी बच्ची थीं। बच्ची मात्र पाँच वर्ष की हुई थी और उसकी माँ की मृत्यु हो गई। इस बच्ची का नाम था निलावंती देवी। निलावंती की माँ मरने के बाद उसके पिता ने उसे उस गाँव छोड़कर दूसरे गाँव में ले गए। निलावंती के पिता ने आर्युवेद की बहुत जानकारी रखी थी। इसी कारण, निलावंती ने अपने पिता से आर्युवेद भी सीखा। निलावंती की एक विशेषता थी कि वह पेड, पौधे, जानवर और पक्षियों की भाषा समझ सकती थी।
इतना ही नहीं, निलावंती के एक सपने में खूंखार शैतान भी आते थे और उसे जमीन के नीचे छिपे हुए भीतरी धन के बारे में बताते थे। उसके पिता की अच्छी परवरिश के कारण, निलावंती सब कुछ जानते हुए भी धन को खोदकर नहीं निकालती। निलावंती को पेड पौधे और शैतान जो मंत्र देते थे, वे सब पीपल के पत्ते पर लिख लेती थी। जब निलावंती 18 से 21 वर्ष की हो गई, तो उसके सपने में आने वाले भूतप्रेत सच में दिखने लगे।
निलावन्ती को बाद में पता चला कि वह एक श्रापित यक्षिणी स्त्री है, इसलिए वह अपनी मूल जगह नहीं जा पाती थी। उसने स्थिति समझते हुए अपने पिताजी को यह सब बताया। निलावन्ती के पिता ने उसे समझाया कि अगर वह एक श्राप से आई है और इसमें फसी हुई है, तो वह अपनी इच्छा से वापस जा सकती है।
PART 2 – निलावन्ती की शादी
फिर निलावंती ने अपने पिता से विदा ली और गांव से चली गई। रास्ते में एक व्यापारी से यक्षिणी स्त्री नीलवन्ती की मुलाकात हुई। निलावंती ने उस भले व्यापारी को एक दूरगामी गांव जाने को कहा क्योंकि एक अच्छी आत्मा ने कहा था कि, 50 मील दूर एक दूसरा गांव है। जहां एक घना बरगद का पेड़ है, वहा पर तुम्हे अपने रक्त के साथ पशु की बलि अर्पण करनी होगी।
निलावंती अपनी मदद के लिए व्यापारी से उस गाँव मे चलने के लिये प्रस्ताव रखती है। व्यापारी खूबसूरत निलावंती को देखकर दीवाना हो जाता है और कहता है कि मैं तुम्हें उस गाँव पंहुचा दूँगा लेकिन बदले में तुम्हे मुझसे शादी करनी होगी। नीलवन्ती मान गयी और कहा, लेकिन मेरी एक ख़ास शर्त है कि मैं रात को तुम्हारे साथ नहीं रहूँगी। साथ ही कहा मैं क्या करती हूँ इसके बारे में तुम जानने का प्रयास नहीं करोगे।
मैं आपकी बात से सहमत हूँ, व्यापारी ने कहा। व्यापारी ने निलावंती को बैलगाड़ी पर बिठाकर उस नगर में ले गया। फिर निलावंती ने शर्तों के अनुसार उस व्यपारी से शादी की। हर रात निलावंती बरगद के पेड के नीचे जाती थी, जहां वह अपना रक्त और पक्षियों की बली चढ़ाती थी। एक रात, गाँव के कुछ लोगों ने निलावंती को पक्षियों को मारते देखा। वे उस व्यापारी को जाकर सब कुछ बताते हैं जब वह तंत्र-मंत्र उस बरगद के पेड के नीचे कर रही थी।
PART 3 – तपस्या का भंग
व्यापारी भी अगली रात निलावंती को अपने समय पर तंत्रसाधना करते हुए देखता है। अगले दिन, शैतान निलावंती के सपने में आकर बताता है। तंत्रसाधना करने के लिए कल बरगद के पेड के नीचे जाते समय नदी में एक लाश बहती हुई दिखाई देगी। उस लाश के गले में एक ताबीज होगा, जो सही समय पर खोला जाना चाहिए।
फिर ताबीज को निकालने के बाद उसी नदी में एक आदमी नाव पर सवार होगा। आपको दूसरी दुनिया में जाने में मदद करने वाले व्यक्ति को ताबीज देना होगा। उस शैतान ने निलावंती को बताया कि उसे अपनी दुनिया में वापस लौटने का एकमात्र अवसर मिलेगा।
अगले दिन निलावंती बहुत प्रसन्न हुई और रात को बरगद के पेड के नीचे चली गई। तंत्र साधना करते हुए, वह एक लाश को नदी के किनारे बहते हुए देखती है। जब वह पशु पक्षी और अपना रक्त बलि देती थी। आज्ञा अनुसार उसने लाश के पास जाकर ताबीज को निकालने का प्रयास किया। वास्तविक शैतानी व्यापारी भी वहाँ छुप कर बैठा था।
जब वह पहली ताबीज की गाँठ खोलने वाली थी, तो गाँव के लोग आ गए और निलावंती को नरभक्षी समझकर कहने लगे कि ये दोनों शैतान हैं। इन दोनों को मार डालो, क्योंकि वे सभी गाँव वासी को मार डालेंगे। ग्रामीणों ने अपने-अपने हथियार उठाकर दोनों को दौड़ा दिया। निलावंती बच गई, लेकिन व्यापारी राक्षस को ग्रामीणों ने मार डाला। मरते समय राक्षस ने कहा, मुझे ये चमत्कारी किताब दे दो।
PART 4 – निलावन्ती ग्रंथ का निर्माण
घटना से क्रोधित होकर निलावंती ने किताब को श्रापित करते हुए कहा, यदि यह शैतान को मिल गया तो पूरी दुनिया के लिए कहर होगा। उसने कहा कि लालच में इसे पूरा पढ़ने वाले तुरंत मर जाएंगे, और आधा पढ़कर बीच में छोड़ने वाले पागल हो जाएंगे।
इस भयानक दंड के बाद निलावंती ने पुस्तक को वहीं छोड़कर चली गई। आज तक कोई नहीं जानता कि निलावंती को क्या कहा गया और फिर क्या हुआ? यह भी कहा जाता है कि निलावंती आज भी जीवित है और अपनी दुनिया में वापस जाने का रास्ता खोज रही है।
समय के साथ, उस किताब के पन्ने हवा से अलग-अलग स्थानों में फैल गए। कुछ अच्छे लोग आए और उन पन्नों को जोड़कर इस बड़ी किताब को समझे। फिर उनमें से एक बहुत ज्ञानी साधु था, जिसमें कोई लालच नहीं थी। उनका विचार था कि किताब को पूरा पढ़कर इसका सरल अनुवाद करना चाहिए।
बिलकुल ऐसा ही साधु ने किया, लोक कल्याण के लिए इसे पुनः अनुवादित किया। लेकिन बहुत से लोगों ने इसका सिर्फ अपनी इच्छा पूरी करने के लिए इस्तेमाल किया। इसलिए अधिकांश लोगों के लिए किताब उपयोगी नहीं रही। वर्तमान समय में ये किताब कहा है किसी को नहीं पता।
निलावन्ती ग्रंथ की विशेषताएं
विज्ञानं के विषय में आज मनुष्य ने अपार प्रगति कर ली है। लेकिन फिर भी बहुत से रहस्य ऐसे है जिसके बारे में मनुष्य आज भी नहीं जान पाया। निलावन्ती ग्रंथ भी उन्ही रहस्यों में से एक है। माना जाता है जिसने इसे पढ़ा और समझा उसे जीवो की भाषा समझ आती है, वह धनवान बनता है।
ग्रंथ में ऐसी बातें बताई है जिससे काल को नियंत्रित किया जा सकता है। अपनी साधना से चाहे वो हांसिल कर सकते है। किसी के जीवन में कष्ट या सुख को बढ़ा-घटा सकते है। बुक में बताई जानकारी द्वारा कोई भी व्यक्ति अपना जीवन ख़ास बना सकता है।
समय चक्र को नियंत्रित करने की इच्छा उतनी ही पुरानी है जितनी कि मनुष्य का ज्ञान है। समय के रहस्य को जानने से मनुष्य ने उसके साथ चलने की इच्छा पाली है। काल या समय बहुत जटिल है क्योंकि इससे इतिहास बदलता है।
लेकीन, यह सच है कि अगर आप ऐसा करते हैं, तो आप नहीं कर पाएंगे क्योंकि समय के साथ कुछ परिस्थितियां बदलती हैं। तो पूरा इतिहास बदल जाएगा, और आप भी बदल जाएंगे; इसका अर्थ यह नहीं होगा कि आप इतिहास बदलने के लिये गये हैं। इसका सीधा अर्थ है कि इतिहास समय के साथ वैसा ही रहेगा।
इस असली ग्रंथ को अब तक किसी ने अपनी आँखों से नहीं देखा है, बस उसका नाम और उसके कारनामे सुने हैं। महाराष्ट्र के किसी भी गाँव में आप किसी बुढ़े से पूछेंगे तो वह आपको उस ग्रंथ के बारे में बता देंगे, लेकिन आपको चेतावनी भी देंगे। पढ़ने से पढ़ने वाले की पीढ़ी खत्म हो जाएगी। मुख्य बात यह है कि पाठक इस ग्रंथ को पढ़ने से पशुओं की भाषा को समझने लगते हैं।
Nilavanti Granth FAQ
हम जानते है आपके मन में इस रहस्य्मय ग्रंथ को लेकर कही सवाल है। यहाँ आप द्वारा पूछे गए अधिकांश सवालो के जवाब बताये है।
(1) निलावन्ती ग्रंथ किसने लिखा या बनाया है?
सबसे पहले कुछ पन्नो पर लिखी जानकारी निलावन्ती ने खुद लिखी थी। फिर इन पन्नो को एक ज्ञानी साधू द्वारा किताब या ग्रंथ का रूप दिया गया था। आज मार्किट में मिलने वाली निलावन्ती की कहानी वाली किताबे कही ऑथर लिखते है।
(2) क्या निलावन्ती ग्रंथ पर प्रतिबंध लगाया है?
लोग कहते है भारत सरकार ने निलावन्ती ग्रंथ पर प्रतिबंध लगाया है। लेकिन इस बात के कोई ठोस सबूत नहीं है। हां, अधिकतर बाबा या साधू द्वारा यह कहा जाता है की ऐसे ग्रंथ को नहीं पढ़ना चाहिए।
(3) निलावन्ती किताब पढ़ने से सच में मृत्यु होती है?
आज के समय में ऐसे कोई केस नहीं मिला जिसमे नीलवन्ती बुक पढ़ने पर मृत्यु हुई हो। यह बस एक कहानी की किताब जैसा है, जो ऑनलाइन अमेज़न पर भी मिलती है।
हम आशा रखते है की यह संपूर्ण जानकारी आपके लिए लाभकारी रही होगी। यदि हां, तो इस वेबसाइट को अपने दोस्तों के साथ भी जरूर शेयर करे।
पढ़ने के लिए धन्यवाद!