हमारे भारतीय किताबो के संग्रह में बहुत से रहस्य और उनके पीछे की एक कहानी छिपी है। ऐसे ही पुस्तकों में से एक है निलावन्ती ग्रंथ। इस कारण लोगो में सवाल आता है की निलावंती कौन थी और वह एक सामान्य लड़की से यक्षिणी कैसे बनी।

आज की इस पोस्ट के माध्यम से हमने वही सब सवालों के जवाब दिए है। निलावन्ती को बचपन से ही राक्षस के सपने आते थे। जब वह बड़ी हुई तब उसे सच में अपने आसपास प्रेत एवं राक्षस दिखने लगे। फिर उसको पता चला की वह कोई सामान्य स्त्री नहीं बल्कि एक यक्षिणी है।
जो किसी श्राप के चलते यक्षिणी बनी और अपने मूल जगह पर वापस नहीं जा पा रही थी। इस स्थिति में फांसी होने के कारण उन्होंने अपने पिताजी से इस बारे में चर्चा की। बाद में श्राप की वजह से उन्हें पता चला की वह अपनी इच्छा से अपनी दुनिया में वापस लौट सकती है।
निलावंती कौन थी
एक साधु द्वारा इकठे किये गए पन्नो पर से निलावन्ती ग्रंथ की कहानी लिखी गयी है। इस कहानी के मुख्य पात्र का नाम निलावंती है। जो पहले एक सामान्य स्त्री थी लेकिन बाद में उसको पता चला की वह एक यक्षिणी है। जो किसी श्राप की वजह से यहाँ पहुंची है।
निलावन्ती एक ऐसी महिला थी जिसके पास कही अद्भुत शक्तिया मौजूद थी। क्यों की वह कोई सामान्य स्त्री नहीं बल्कि एक यक्षिणी थी, जो एक श्राप की वजह से यहाँ आयी थी। वह अपनी इच्छा शक्ति द्वारा श्राप पूर्ण कर के वहा से जा भी सकती थी।
आयुर्वेद में गहरी जानकारी रखने वाले एक छोटे से आदमी के वहा निलावंती का जन्म हुआ था। कहा जाता है की निलावंती के जन्म होते ही उनकी माता श्री की मृत्यु हो गयी थी। जिस वजह से उनको उनके पिता ने ही उन्हें पाल के बड़ा किया।
निलावंती सामान्य लड़की से यक्षिणी कैसे बनी
बहुत से लोगो का यह सवाल है की निलावन्ती एक सामान्य स्त्री थी तो वह यक्षिणी कैसे बनी। तो इसके पीछे एक बहुत ही दिलचस्प कहानी छुपी है। जिसकी संपूर्ण जानकारी आप निचे मुताबिक ले सकते है।
लोक कथा के अनुसार
- निलावंती एक साधारण सुंदर, सती-साध्वी और पवित्र जीवन जीने वाली लड़की थी।
- वह बहुत ही श्रद्धालु, धर्मपरायण और सत्यवादी थी।
कठिन परिस्थितिया
- बचपन से ही निलावन्ती को राक्षस सपने में दीखते थे।
- जब वह बड़ी हुई तब खुली आँखों से सच में यह सब उसे दिखने लगा।
सच का पता
- जब निलावन्ती बड़ी हुई तब उसके सामने एक बड़ा सच आया।
- जिसके कारण उसको पता चला की वह सामान्य स्त्री नहीं बल्कि एक यक्षिणी है।
श्राप के बारे में
- राक्षसों द्वारा उन्हें कही प्रकार के मंत्र और तांत्रिक विद्या की जानकारी मिलती थी।
- इसी वजह से उसको अपने श्राप के बारे में भी पता चल जाता है।
यक्षिणी का रूप धारण
- जब निलावन्ती को पता चला वह एक यक्षिणी है तब उसने वह रूप धारण कर लिया।
- यक्षिणियाँ आमतौर पर सुंदर, आकर्षक और अलौकिक शक्तियों से युक्त मानी जाती है।
निलावन्ती यक्षिणी की विशेषता
- कहा जाता है कि निलावंती यक्षिणी अत्यंत करुणामयी है।
- अगर कोई सच्चे मन से उसकी साधना करे तो वह आशीर्वाद देती है।
- लेकिन जो व्यक्ति लालच या छल से साधना करता है, उसे विपरीत फल भी मिल सकता है।
ऊपर दर्शाई गयी कुछ बातो से यह स्पष्टता की जा सकती है की निलावन्ती पहले एक सामान्य लड़की थी। लेकिन बड़े होते उसको पता चला की वह एक यक्षिणी है। जिस वजह से उसे अपने सपने में अक्सर राक्षस दिखाई देते थे।
निलावंती के बारे में
भारत की एक महशूर किताब जिसका नाम निलावन्ती ग्रंथ है। उसके मुख्य महिला किरदार का नाम निलावंती है। जो की एक यक्षिणी थी, उसके द्वारा एक किताब लिखी गयी थी। उसके पन्ने समय के हिसाब से इधर उधर हो गए थे। इसी कारण से इस कहानी के बारे में ज़्यादा सटीक जानकारी नहीं मिलती।
बहुत से लोगो में ऐसी अफवाहे है की इस ग्रंथ को पढ़ने पर मृत्यु हो सकती है, क्यों की यह एक शापित किताब है। जिसे निलावन्ती यक्षिणी द्वारा श्राप मिला हुआ था। लेकिन इससे पढ़ने पर अकाल मृत्यु हुई हो इसका एक भी ठोस सबूत नहीं है।
जिस वजह से ज़्यादातर लोग इसे अफवाह समझते है। लेकिन कुछ अन्धविश्वास में रूचि रखने वाले लोगो के कारण इस किताब का नाम ख़राब हुआ। उस समय की सरकार ने भी किसी कारण की वजह से इसे नष्ट किया होने की संभावना भी है। तब से इस किताब पर प्रतिबन्ध लगा हुआ है।
निलावन्ती की यक्षिणी बनने की कहानी
कहा जाता है की निलावन्ती पहले एक सामान्य लड़की हुआ करती थी लेकिन ऐसा क्या हुआ जिससे वह यक्षिणी बन गयी। लेकिन इसके सही जवाब में यही कहा जाता है की वह पहले से ही यक्षिणी थी। लेकिन उसे इस बात का पता बड़े होने के बाद चला।
पहले से ही उसके सपने में खूंखार शैतान, राक्षस और भुत प्रेत आते थे। लेकिन तब उसे इन सब का कारण नहीं पता था। आगे जा कर जब वह बड़ी हुई तब उसे सच में भुत प्रेत और राक्षस दिखने लगे। तब निलावन्ती को पता चला की वह एक शक्तिशाली यक्षिणी है।
यक्षिणी क्या होती है
हमारे भारतीय पुराणों लोक कथा और तांत्रिक परंपराओं में एक अलौकिक स्त्री का वर्णन किया गया है, जिसे यक्षिणी का नाम दिया गया है। इसको एक स्त्री जादुई स्त्री के रूप में निरूपित किया गया था। यक्षिणीया हकारा-त्मक और नकारात्मक दोनों प्रकार की होती है।
हिन्दू धर्म के अनुसार यक्षिणियों को कभी शुभ तो कभी अशुभ माना जाता है। यक्षिणी का मतलब होता है धन, कुबेर, प्रकृति और खजाने की रक्षा करने वाली स्त्री। तांत्रिकी साधनाओ के मुताबिक कुल 64 जितनी यक्षिणीओं का उल्लेख किया गया है, इनकी साधना को यक्षिणी साधना नाम दिया गया है।
सामान्य रूप से यक्षिणीओं को बहुत सुंदर, सौंदर्य से भरपूर देह वाली और आभूषणों से सजी स्त्री के रूप में दर्शित किया जाता है। जो हमारे पुरातन खजाने की रक्षा करने की जिम्मेवारी निभाती है।
आशा करती हु निलावन्ती कौन थी और वह यक्षिणी कैसे बनी इसकी जानकारी देने में सफल रही हु। पोस्ट पसंद आयी हो तो अन्य लोगो के साथ शेयर करना बिलकुल न भूले।