भारत सरकार ने निलावन्ती ग्रंथ पर प्रतिबंध क्यों लगाया जाने पूरी कहानी

बहुत से लोग यह जानना चाहते है आखिर भारत सरकार ने निलावन्ती ग्रंथ पर प्रतिबन्ध क्यों लगाया। तो इसके पीछे एक रहस्य से भरी कहानी छुपी है, जिस वजह से लोगो में अंध विश्वास फैला था। इसी कारण से निलावन्ती ग्रंथ पर प्रतिबन्ध लगाया गया था।

भारत सरकार ने निलावन्ती ग्रंथ पर प्रतिबंध क्यों लगाया जाने पूरी कहानी

ऐसा भी कहा जाता है की उस समय की अंग्रेज सरकार द्वारा भारत के कही महत्वपूर्ण पुस्तकों को नष्ट किया गया था। उन्ही में से एक निलावन्ती ग्रंथ भी था। जिसमे यक्षिणी निलावन्ती की कहानी को प्रदर्शित किया गया था।

मान्यताओं अनुसार ऐसा भी है की इस किताब को पढ़ने वाले की अकाल मृत्यु हो जाती है या उसकी दिमागी हालत बिगड़ जाती है। जिस वजह से पहले के ज़माने में ही इसे नष्ट किया गया था । हलाकि इस बात की सच्चाई साबित करने के लिए कोई ठोस साबुत नहीं है।

भारत सरकार ने निलावन्ती ग्रंथ पर प्रतिबंध क्यों लगाया

सबको रहस्य और रोमांच से भरी किताबे पढ़ना अच्छा लगता है। ऐसी ही एक ऐतिहासिक और रोमांचकता से भरी पुस्तक है निलावन्ती ग्रंथ। जिसकी कहानी को लोगो द्वारा काफी अच्छा प्रतिभाव मिला था। हालांकि इस असली किताब पर सरकार द्वारा प्रतिबन्ध लगाया गया था।

बात तब की है जब देश में अंग्रेज़ो की सरकार चल रही थी। कहा जाता है की मुगलो और अंग्रेजो ने हमारे कही प्राचीन पुस्तकालयों को नष्ट किया था। जिस वजह से हमारे पास कही अच्छे और पुराने किताब नहीं है, वह सारे नष्ट हो चुके थे।

उस समय पर लोगो को काफी अंध विश्वास हुआ करता था। साथ ही इस पुस्तिका को लेकर लोगो में कही प्रकार की मान्यताए भी प्रचलित थी। इस कारण की वजह से भी इसे प्रतिबंधित किया गया हो सकता है। हालांकि इसका कोई सही प्रमाण आज तक नहीं मिला।

प्रतिबंधित निलावन्ती ग्रंथ के कारण

केवल एक नहीं बल्कि कही कारणों की वजह से इस किताब पर उस समय की सरकार द्वारा प्रतिबन्ध लगाया गया था। इस वजह से निलावन्ती ग्रंथ को हम आज नहीं पढ़ पाते। कहानी के अनुसार देखा जाए तो इसे कहानी की मुख्य नायिका यानि निलावन्ती द्वारा श्राप मिला था।

इसके प्रतिबंध के पीछे बहुत से कारण हो सकते है जिसकी पूरी जानकारी और इससे जुडी कहानी निचे अनुसार देख सकते है।

जादू टोना और अंध विश्वास कानून

  • इन कानूनों का मुख्य उद्देश्य अंधविश्वास के नाम पर होने वाले ठगी, हिंसा और सामाजिक शोषण को रोकना है।
  • कुछ दुर्भावनापूर्ण तत्व ऐसे ग्रंथों के नाम का इस्तेमाल करके लोगों को डराते है।
  • उनसे पैसे ऐंठते हैं या उन्हें हिंसक कृत्यों के लिए उकसाते हैं।

निलावन्ती ग्रंथ का शापित माना जाना

  • लोगो में ऐसी मान्यता प्रचलित हो चुकी थी की इस ग्रंथ को पढ़ने से व्यक्ति की मौत हो सकती है।
  • इसके अलावा यह भी कहा जाता है की इसे पढ़ कर लालच करने वाले की मानसिक स्थिति बिगड़ सकती है।
  • ऐसे कही कारणों की वजह से यह मान्यता और भी मजबूत होती गयी की यह एक शापित किताब है।

वास्तविकता से दुरी बनाता है

  • इस किताब में बहुत सी ऐसी बाते लिखी गयी जिसका हमारे सामान्य जीवन और वास्तविकता से कोई सीधा सम्बन्ध नहीं है।
  • इसे पढ़ के कही लोगो का मानसिक संतुलन भी बिगाड़ा है ऐसा भी कहा जाता है जो लालच करते उनको इसकी नकारात्मकता देखनी पड़ती।
  • इसमें छुपे हुए खजाने और धन दौलत के बारे में बात हुई है, जिसका कोई ठोस साबुत नहीं मिलता और लोग इससे गुमराह भी होते है।

वक्त के साथ साथ नष्ट हुई

  • योग्य देखभाल ना होने के कारण साधु द्वारा इकठे किये गए पन्नो द्वारा बनी यह किताब वक्त के साथ साथ नष्ट हो गयी।
  • एक प्राचीन किताब होने की वजह से और बहुत ज़्यादा समय के पहले प्रकाशित होने के कारण अभी तक यह नहीं मिल रही।
  • जिन भी पुस्तक संग्रहालयों में इसके पुस्तक मौजूद थे उसकी भी सही से देखभाल नहीं मिली जिस वजह से यह आज देखने नहीं मिलती।

ग्रंथ से जुडी कहानी

वैसे तो इस पुस्तक से जुडी बहुत सी कहानी या अफवाहे देखी जाती है। लेकिन कुछ बातो में समानता देखने मिलती है। जिस वजह से यह अनुमान लगाया जा सकता है की यह कहानी में सच्चाई होने की संभावना है। इस कहानी के सरे पहलु के बारे में हमने निचे अच्छे से जानकारी दी है।

कहानी इसके मुख्य किरदार यानी की निलावन्ती के इर्दगिर्द घूमती है। जिसके पास कुछ शक्तिया होती है और अपने परिवार से उसे बहुत सारा ज्ञान भी प्राप्त हुआ होता है। तो आइये इस कहानी के बारे में और भी ज़्यादा जानते है।

कहानी निलावन्ती की

  • इस कहानी की मुख्य नायिका का नाम निलावन्ती है, इसके आसपास ही हमारी संपूर्ण कहानी आकार लेती है।
  • निलावन्ती बचपन से ही अपने पिता श्री के साथ रहती थी, जहा से उन्होंने आयुर्वेद का ज्ञान प्राप्त किया था।

निलावन्ती को पता चला सच

  • बचपन से ही अपने यक्षिणी होने के सच से अनजान निलावन्ती खुद को एक सामान्य और समझदार औरत के रूप में जानती थी।
  • लेकिन बड़े होते उसको पता चला की वह एक यक्षिणी है इसी वजह से सपने में उसको राक्षस दीखते है।

लिखना शुरू किया

  • बचपन से ही उसको जो सपने आते थे उनमे शैतान द्वारा एक मंत्र दिया जाता था उसको वह एक पन्ने में लिख लेती थी।
  • इन सब पन्नो की एक बड़ी सी किताब बनी थी जिसको निलावन्ती ने अपने हाथो से लिखा था।

किताब को श्राप मिला

  • किताब में खजाने के बारे में बहुत सी जानकारी थी जिसे देख कर कही लोगो ने लालच की थी।
  • इसी वजह से निलावन्ती द्वारा इस किताब को श्राप दिया गया था।
  • इस वजह से लोगो में यह मान्यता गहरी बन चुकी थी की इसे पढ़ने से मृत्यु होती है।
  • या तो इंसान का दिमागी विकास बंद हो जाता है और वह पागल बन जाता है।

ऐसे ही कही कारण की वजह से निलावन्ती ग्रंध को प्रतिबंधित किया जा सकता है। क्यों की इसके पीछे बहुत से लोग अंध विश्वास और इससे जुडी प्रचलित मान्यताओं को बढ़ावा देते है। अपने सांस्कृतिक और मानवीय मूल्यों को ध्यान में रखते हुए इस किताब को नष्ट किया गया हो सकता है।

आशा करती हु हमारी भारत सरकार ने निलावन्ती ग्रन्थ पर क्यों प्रतिबन्ध लगाया इससे जुडी सारी जानकारी अच्छे से दे पायी हु। पोस्ट पसंद आयी हो तो अन्य लोगो के साथ शेयर करना बिलकुल न भूले।

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